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संस्कृत भाषा के दश लकार: (10 types of _Lakaaras_ in Sanskrit)

लकार = ल की ध्वनि = Tenses/Moods _लट् वर्त्तमाने लेट् वेदे भूते लुङ् लङ् लिट्स्तथा, विध्याशिषोस्तु लिङ्लोटौ, लुट् लृट् लृङ् च भविष्यति अर्थ: _लट्_ वर्त्तमानकाल (present) में, _लेट्_ वेदों (Vedas) में,  _लुङ् लङ् लिट्_ भूतकाल (past) में,  विधि/आज्ञा में _लिङ्_ और _लोट्_, आशीष में _लिङ्_, _लुट् लृट् लृङ्_ भविष्यतकाल (future) में प्रयुक्त होते हैं. जैसे: सः पठति (वह पढता है) जैसे: नरेन्द्रः अगमत् (नरेन्द्र गया) जैसे: देवः अगच्छत् (देव [आज को छोडकर किसी दिन] गया) जैसे: रामः जघान रावणम् (राम ने रावण को मारा)  जैसे: वर्जयेत् तादृशं मित्रं, परोक्षे कार्य हन्तारम्  (वैसे मित्र को त्याग देना चाहिये, जो पीठ पीछे कार्य बिगाडे)     आ) *आर्शीलिङ्* - _आशीर्वाद-सूचक (Benedictive)_   जैसे: भरतः चिरं जीव्यात् - परमात्मा करे की भरत दीर्घजीवी हो! May Bharat live long! जैसे: मह्यम् जलम् आनय (मेरे लिये पानी लाओ) जैसे: मनोजः श्वः गन्ता (मनोज कल जाएगा) जैसे: अहम् खादिष्यामि (मैं खाऊँगा)   जैसे: मोहनः अपठिष्यत् तर्हि विद्वान् अभविष्यत्  (मोहन पढता तो ...

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